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कोई भी राष्ट्र का विकास तभी हो सकता हैं जब वहा पूंजी निवेश हो. यह निवेश ही विकास रूपी रथ का तेल होता हैं .इस निवेश का तभी तेजी और निरंतरता से तथा कुशलतापूर्वक उपयोग हो सकता हैं जब निवेशको की पैठ बाजार में हो .इन बाजारों में बैंको की महत्ती भूमिका हैं . भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तीव्र गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओ में से एक हैं. बावजूद इसके दुनिया भर में आर्थिक हवा अनुकूल दिशा में नहीं बह रही हैं . हालाँकि वैश्विक आर्थिक संकट से उबरने में भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा समय नहीं लगा. दुनिया भर की अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखने से लग रहा था की भारतीय अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतर जाएगी लेकिन इसने आश्चर्यजनक तरीके से पटरी पर आना शुरू कर दिया. यदि आकंड़ो पर गौर करे तो 2003 -08 की अवधि में 8 .8 %की औसत विकास दर के मुकाबले 2008 -09 के औसत विकास 5 .8 % विकास दर दर्ज की गई .5 . 8 % की विकास दर भी बेहतर विकास दर रही हैं.
भारत में बैंकिंग सेवा की शुरुआत
भारत में सबसे पहले बैंक विदेशी पूंजी के सहयोग से अलेक्जेंडर एंड कंपनी के सहयोग से बैंक ऑफ हिंदुस्तान के नाम से 1770 में कोलकाता में स्थापित किया गया. यह बैंक यूरोपीय पद्धति पर आधारित बैंक था लेकिन यह बैंक जल्द ही विफल हो गया. इस बैंक के विफल होने के बाद देश में निजी अंशधारियो द्वारा तीन प्रेसीड़ेंशी बैंको की स्थापना की गई .सन 1806 में बैंक ऑफ बंगाल ,1840 में बैंक ऑफ बाम्बे ,1843 में बैंक ऑफ मद्रास की स्थापना की गई . यह बैंक निजी थे परन्तु इसमे सरकार की भी हिस्सेदारी थी इसलिए सरकार उन पर पूर्ण नियंत्रण रखती थी . बाद में इन तीनो बांको को मिलाकर 1921 में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया स्थापित किया गया. आजादी के बाद देश की विकास जरूरतों को देखते हुए जुलाई 1955 में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया का नाम बदल कर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रखा गया. 1917 में उधोगो को वित्तीय सहायता देने के उद्देश्य से टाटा औधोगिक बैंक की स्थापना की गई.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना 1 अप्रैल ,1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम ,1934 के अनुसार की गई. शुरुआत में इसका कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुंबई आ गया. भारत सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से 1 जनवरी ,1949 को इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया . इसके बाद भारतीय बैंकिंग का समन्वित नियमन करने हेतु मार्च 1949 में भारतीय बैंकिंग अधिनियम पारित किया . जुलाई 1969 में 14 बड़े बांको का राष्ट्रीयकरण किया गया. 1980 में राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर शुरू किया गया जिसमे 6 निजी बैंको का राष्ट्रीयकरण किया गया. 1993 में सरकार ने न्यू बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया वर्तमान में 19 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं
सूचना प्रौधिगिकी का बैंको पर प्रभाव
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सरकार ने बैंको में ग्राहकों की बढ़ती संख्याओ को ध्यान में रखते हुए सभी बैंको को सूचना प्रौधिगिकी से जोड़ दिया हैं .बैंको द्वारा दिए सुविधाओ का उल्लेख नीचे किया किया गया हैं.
ए.टी .एम सेवा —– आज भारतीय बैंकिंग क्षेत्र ने बहुआयामी विकास किया हैं . प्लास्टिक मनी के इस दौर में ATM जिसे ऑटोमेटिक टेलर मशीन ,एसिंक्रोनस ट्रांजेक्सन मोड़ या अणि टाइम मनी कहा जाता हैं .इससे हेरा -फेरी ,धोखाधारी के खिलाफ ग्राहकों और बैंको दोनों को सुरक्षा प्राप्त होती हैं .ATM की शुरुआत 1970 के दशक में हुई.
EFT (इऍफ़टी) सेवा –इसका पूरा नाम इलेक्ट्रोनिक कोष अंतरण हैं. इसके जरिये पैसा एक खाता से दुसरे खाता में चला जाता हैं . इस प्रणाली में प्रेषक और प्राप्तकर्ता भले ही अलग- अलग शहरों में रहते हो और उनकाखाता भी अलग- अलग बैंको में हो पालक झपकते ही पैसा एक खाता से दुसरे खाता में चला जाता हैं,.
RTGS (आरटीजीएस)सेवा — RTGS का विस्तार रूप तत्काल सकल निपटान प्रणाली (रियल टाइम ग्रोस सेटलमेंट स्कीम ) हैं .भारतीय रिजर्व बैंक ने भुगतान और निपटान प्रणाली को सुगम बनाए के लिए यह कदम उठाया हैं.उधोग जगत इस प्रणाली को आकर्षक और उपयोगी मानता हैं . क्यूंकि इसमे उनकी काफी बचत होती हैं. इस प्रणाली की शुरुआत 1 जनवरी 2007 को हुआ.
सरकार ने ग्रामीण विकास की गति तेज करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में काफी काम किया हैं . बैंकिंग सेवा को लचीला बनने के लिए साकार ने बैंकिंग लोकपाल योजना शुरू किया हैं. राष्ट्रीय कृषि निति क्यूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि ही हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 1990 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और नावार्ड के परामर्श से किसान क्रेडिट कार्ड(KCC ) की शुरुआत की हैं .
निष्कर्षतः कहा जा सकता हैं की प्रौधिगिकी के विकास ने बैंकिंग सेवा के स्वरुप को व्यापक रूप में बदल दिया हैं . जिसके फलस्वरूप बैंको की कार्यप्रणाली में सुधर आया हैं .और यह देश के विकास खासकर ग्रामीण क्षेत्रो के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं.बैंको को राजनितिक दवाव से मुक्त रखा जा चाहिए गैर -ब्याज आय वाले कार्यो को को प्रोत्साहन देने की जरुरत हैं. सरकार को सभी योजनाओ को बैंको के माध्यम से लागू करने चाहिए. .
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