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स्वास्थ्य ब्लॉग: औषधिकारक तुलसी

जो कहूँगा सच कहूँगा .
जो कहूँगा सच कहूँगा .
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मानव शुरू से ही औषधि का नाम सुनते आया हैं. जब भी किसी प्रकार का कष्ट होता हैं तब उसे औषधि की याद आती हैं. आज औषधि का स्वरुप बदल चूका हैं. आज जड़ी-बूटियो की स्थान बड़ी -बड़ी इंजेक्सन और टबलेटो ने ले ली हैं .प्रत्येक व्यक्ति खुद को स्वास्थ रखने चाहता हैं .इसके लिए वह विभिन प्रकार का जत्त्न करता हैं .
तुलसी का महत्व ऐसे ही नहीं हैं. तुलसी औषधियों का खान हैं . इस कारण तुलसी को अथवर्वेद में महाऔषधि की संज्ञा दी गई हैं .तुलसी का वैज्ञानिक नाम औसिमम सैक्टअम हैं . तुलसी विश्व की लगभग सभी जलवायु में पाई जाती हैं . तुलसी दमा .टी.वी .में अत्यंत लाभकारी हैं . तुलसी में ट्रेनिन,सेवेनिन,अल्कोलाईडस आदि पाया जाता हैं . तुलसी में लगभग 17 .8 % तेल पाया जाता हैं .तुलसी के तेल में पामिटिक अम्ल ,लिनोलैनिक अम्ल, सीटोस्टोरौल अम्ल में पाई जाती हैं
तुलसी के नियमित सेवन से दमा टी वी होने नहीं होती हैं क्यूँ यह बीमारी के जम्मेदार कारक जीवाणु को बढ़ने से रोकती हैं .चरक संहिता में तुलसी को दम्मा की औषधि बताया गया हैं. तुलसी वातावरण को भी स्वच्छ बनने में भी मदद करती हैं . तुलसी के रस में प्रोटोजोवा और मच्छर को नष्ट करने की शक्ति पाई जाती हैं .सप काटने के पश्चात् तुलसी को मक्खन के साथ लगाने पर राहत मिलती हैं.हमें अपने घर के आगे एक तुलसी का पौधा अवश्य लगाने चाहिए. ताकि वहा मच्छर न हो और हमें रोगों का सामना न करना पड़े.

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