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सोयाबीन -सोयाबीन प्रोटीन का सर्वोतम स्रोत हैं .सोयाबीन में 43 .2 %प्रोटीन पाया जाता हैं .इस कारण इस स्वास्थ्यवर्धक आहार को “प्रोटीनो का राजा” कहा जाता हैं. सोयाबीन का प्रोटीन सुपाच्य होता हैं जिसके कारण यह बालक, वृद्ध ,कमजोर ,रुग्ण, गर्भवती ,और प्रसूति महिलाओ के लिए बहुत उपयोगी हैं . 100 ग्राम सोयाबीन में जीतनी प्रोटीन होती हैं ,उतना ही प्रोटीन पाने के लिए 200 ग्राम पिश्ते की गिरी या 1200 ग्राम गाय -भैस का दूध या 7 -8 अंडे या 300 ग्राम हड्डी विहीन मांस की आवश्यकता पड़ती हैं .
सोयाबीन का वैज्ञानिक नाम ग्लाईसिन मैक्स एल मीर हैं .यह शिम्बी कुल और सेम जाति का धान्य हैं .अंग्रेजी में इसे सोयाबीन तथा हिंदी सोया, सेवदाना भट्वास कहा जाता हैं .यह वसा ह्रदय रोग में हितकर हैं और घी व माखन के सामान रोग प्रतिरोधक हैं .
सोयाबीन बुढ़ापारोधी ,मधुमेह कन्सर, से बचाओ ,ह्रदय रोग ,बाँझपन आदि में उपयोगी है .100 ग्राम सोयाबीन में 118 मिलीग्राम विटामिन इ होता हैं . 100 ग्राम सोयाबीन से 432 किलो कैलोरी उर्जा प्राप्त होती हैं .अतः सोयाबीन दूध और सोयाबीन तेल का नियमित उपयाग करना चाहिए
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भिन्डी- भिन्डी भारत में बहुत लोकप्रिय सब्जी हैं. इसकी उचाई 60 से 90 सेमी तक होती हैं. भिन्डी गैस्टिक , अल्सर के लिए प्रभावी दवा हैं . मृदुकारी भिन्डी सम्वेदनसिल बड़ी आंत की सतह की रक्षा करता हैं .जिससे ऐठन रुक जाती हैं .इसके सेवन से आंत में जलन नहीं होती हैं . भिन्डी का लस के नियमित सेवन से गले , पेट .मलाशय और मूत्रमार्ग में जलन नहीं होती हैं . भिन्डी के काढ़ा पीने से सुजाक, मूत्रकृच्छ, और ल्यूकोरिया में फायदा होता हैं .
भिन्डी की उत्पति उष्णकटीबंधिय अफ्रीका में हुई हैं. बीजरहित ताजा दो भिन्डी प्रतिदिन खाने से स्वेतप्रदर, नंपुसकता, धातु गिरना रोकने में सहायक हैं .
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