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पालक -पालक का मतलब सबका पालनहार .वास्तव में भगवान इस साग को पृथ्वी पर इसलिए भेजा हैं कि संपूर्ण मानव जगत इसका सेवन कर अपना पालन पोषण करे. पालक के उपयोग से मानव विभिन्न रोगों से विमुक्त होता हैं. और शारीरिक विकाश कि ओर अग्रसर हो जाता हैं . भारत में यह गुणकारी शक आसानी से मिल जाती हैं .
पालक चिनोपोडिएसी कुल का शाक्य हैं .इसका वानस्पतिक नाम स्पिनेसिया औलिरेसिया हैं. अंग्रेजी में इसे स्पिनेच कहा जाता हैं. उत्तर भारत में इसे पालकी कहा जाता हैं .पालक में हिमोग्लोविन क़ी मात्रा ज्यादा होती हैं .पालक रस के सेवन से हिमोग्लोविन में वृद्धि होती हैं .,फलस्वरूप कुछ दिनों में शरीर में नए रुधिरो का निर्माण होता हैं ,और शरीर में नया उत्साह ,नई शक्ति ,जोश का संचार होता हैं. प्रकाशन विभाग क़ी ग्रामीण विकाश पर आधारित मासिक पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार 100 ग्राम पालक में 26 किलो कैलोरी उर्जा ,प्रोटीन 2 .0 % ,कार्बोहाइड्रेट 2 .9 % ,नमी 92 % वसा 0 .7 %, रेशा 0 .6 % ,खनिज लवन 0 .7 % और रेशा 0 .6 % होता हैं .पालक में खनिज लवन जैसे कैल्सियम ,लौह, तथा विटामिन ए ,बी ,सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं. इसी गुण के कारण इसे लाइफ प्रोटेक्टिव फ़ूड कहा जाता हैं .
उड़द- मानव स्वास्थ के लिए दल प्रोटीन का मुख्य अवयव हैं. उड़द में प्रोटीन के अलावा कैल्सियम , (Ca ), फास्फोरस (F ) भी उपस्थित होता हैं जो मानव के अस्थियो को सुदृढ़ करने लिए और उसके संतुलित विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं . इसमे पाया जाने वाला एमिनो अम्ल लायसीन की मात्रा उच्चकोटि की प्रोटीन प्रदान करती हैं . दालों में कम वसा व कार्बोहाइड्रेट प्रदान करने वाली यह उड़द की दाल बच्चो की भोजन हेतु सर्वोतम आहार हैं.
उड़द की दाल का छिलका दुधारू पशुओ की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होती हैं. शाकाहारियो के लिए यह दाल सर्वोतम हैं क्यूँ की यह उच्च कोटि की प्रोटीन प्रदान करती हैं .
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