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कविता के माध्यम से बाल श्रम पर प्रहार

जो कहूँगा सच कहूँगा .
जो कहूँगा सच कहूँगा .
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ओ बच्चो अपने अधिकारों को पहचानो
अपने शोषण के विरुद्ध लड़ो
अपने दमन के खिलाफ आवाज उठाओ .
अपने बचपन को बर्बाद मत होने दो. अपने हक़ की लड़ाई लड़ो.
अपने लिए एक नए विश्व का निर्माण करो
जहाँ तुम्हे खेलने पढने की आज़ादी हो.
अपने नाम को बाल श्रमिक का नाम न दो.
तुम्ही हो देश के भविष्य
अतः अपने अधिकारों को पहचानो
अपने हक़ की लड़ाई लड़ो

.

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