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अल्लाह के नाम पर दे दे बाबा :भिखारियों से प्रभवित भारत की छवि

जो कहूँगा सच कहूँगा .
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जब आप सुबह सुबह घर से ऑफिस या व्यवसाय के सिलसिले में बहार निकलते हैं. तो आपको रेलवे स्टेशन , बस पड़ाव या मार्केट में”अल्लाह के नाम पर देदे बाबा” जैसा शब्द सुनाई देता हैं जब आप उधर नजर दौडाते हो तब आपको कुछ भिखारी डब्बे , बर्तन जैसे तिन का कटोरा आदि लिए यह वाक्य बार-बार दोहराते हैं .उसमे बच्चे ,बूढ़े , नौजवान ,विकलांग शामिल होते हैं .अंधे भी इस धंधे में शामिल होते हैं.
भिक्षावृति एक सामाजिक बुराई हैं . अब यह लाइलाज गंभीर रोग बनता जा रहा हैं. इसके कारण अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत को “भिखारियों का देश” कहा जाने लगा हैं. यह विडंवना ही हैं की भारत का एक बड़ा वर्ग का हिस्सा भिखारियों अर्थात भिखमंगो का हैं .वैसा तो भारत में भीख मांगना वैदिक कल से ही चला आ रहा हैं लेकिन उस समय इसका अर्थ भिक्षा या दान होता था. भीख मांगना आज एक प्रकार का धंधा बन गया हैं या यु कहे की व्यवसाय बन गया हैं भिखारी दिन में कमाता हैं और रात में मस्ती करता हैं . कुछ गिरोहों के द्वारा भी भीख मंगवाया जाता हैं. वे लोग बच्चे का अपहरण कर उनसे भीख मंगवाते हैं और उनके पैसो से मौज मस्ती करते हैं .यदि बच्चे भीख नहीं मांगते हैं तो उन्हें मारा पीटा जाता हैं. बच्चो का अपहरण कर उन्हें विकलांग बनाकर उनसे भीख मंगवाए जाते हैं. भिखारी छोटे मोटे अपराध करने से भी नहीं चुकते हैं.
यु कहे की आप हमारे देश में यह समस्या एक विकराल रूप धारण कर ली हैं.
आज भीख मांगने एक हाइटेक धंधा बन चुका हैं . यह धंधा बिना पूंजी का धंधा हैं. इसमें बिना पैसा का पैसा कमाया जाता हैं . ऐसे इसके कुछ मूल कारण बेरोजगारी, गरीबी, प्राकृतिक आपदा , जनसँख्या विष्फोट ,नगरीकरण आदि हैं. जो व्यक्ति को बिना पूंजी का यह धंधा करने को विवश करता हैं. आज हमारे देश में भूखो से मौत की खबरे भी सामने आ रही हैं. जो भारत के लिए कलंक हैं . जब मनुष्य को भूख लगाती हैं तो वह अपना भूख मिटाने के लिए अपना आत्मसम्मान भूल कर भीख मांगना शुरू कर देता हैं .
हालाँकि सरकार ने इसे कानूनन अपराध घोषित कर रखा हैं फिर भी लाइलाज रोग दिन पर दिन बढ़ता जा रहा हैं. भिखारियों की संख्या में दिन पर दिन वृद्धि होती जा रही हैं. स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी हैं की अन्तराष्ट्रीय स्तर का कोई समारोह का आयोजन होता हैं तब उस स्थान को जिस स्थान पर आयोजन होने वाला हैं वहा से भिखारियों को बल पूर्वक हटाना पड़ता हैं . इसका प्रमाण यह हैं की 2010 में दिल्ली में हुए राष्ट्र मंडल खेल में दिखाई दिया . वहा से पुलिस के द्वारा भिखारियों को बल पूर्वक हटाया गया ताकि भारत की छवि ख़राब ना हो .
इसके निवारण के लिए सरकार को प्रयत्नशील रहना चाहिए . सामाजिक चेतना को बढ़ावा देना चाहिए. साथ -साथ बेरोजगारी , गरीबी , आदि के उन्मूलन भिखारियों के गिरोहों के खिलाफ कड़ी कारवाई करनी चाहिए
तब जाकर भारत की छवि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली हो सकेगी.

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