Menu
blogid : 1062 postid : 3

BHARAT KE VIKASH ME PANCHAYATON KI BHUMIKA

जो कहूँगा सच कहूँगा .
जो कहूँगा सच कहूँगा .
  • 37 Posts
  • 248 Comments

महात्मा गाँधी का विचार था कि जब स्थानीय लोग शाशन -व्यवस्था में शामिल हो जायेंगे तब विकाश का काम सुचारू रूप हो सकेगा. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 73वे और 74 वे  संविधान संशोधन कर पंचायतों और नगरपालिकाओं का गठन कर उन्हें अधिकार प्रदान कए . इस संविधान संशोधन के द्वारा कुल 29 विषय पंचायतों को दिए गए. पंचायतों को ग्रामीण विकाश और आर्थिक विकाश के लिए योजना बनाने के अधिकार दिए गए. इनके अलावा पंचायत की वैसी महिलाए जो अब तक घर की चार दिवारी में रहने को मजबूर थी उन्हें आरक्षण देकर पंचायत प्रमुखों के पद तक पहुचने का अवसर प्राप्त हुआ.
                         दिसम्बर  1992में पारित संविधान के 73 वे और 74 वे के द्वारा संविधान के भाग 9  और 9 क जोड़ा गया. इन दो भागों में अनुच्छेद 243  से 243  ह तक कुल 34  नए अनुच्छेद तथा 11  वी और 12  वी दो नए अनुसूची को जोड़ा गया. गाँधी जी ग्राम राज्य के पक्षधर थे. उनके शब्दों में स्वाधीन भारत की राजनितिक व्यवस्था गाँव में होनी चाहिए.संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेदकर के के शब्दों में पंचायत भ्रष्टाचार,लूट-खसोट ,कामचोर दकियानूसी पिछड़ेपन , रुढ़िवादी विचार का प्रतीक रही हैं . इक समझौते के तहत गाँधी जी के प्रति समादर दिखाते हुए संविधान सभा ने निति निदेशक के अंतर्गत अनुच्छेद 40  में इसका उल्लेख कर दिया,
                         अनुच्छेद 40  के अनुसार राज्य पंचायतों के गठन सम्बन्धी कदम उठाएगा और उन्हें ऐसी शक्तिया प्रदान करेगा जिससे वे ग्रामीण विकाश के काम सही ढंग  से कर सके. 73 वे और 74 वे संशोधन  में उपबंध हैं की राज्य के विधानमंडल पंचायतों के लिए कानून बनायेंगे.
                          भारत के विकाश में पंचायतों का योगदान काफी महत्वपूर्ण हैं.क्यूँ की भारत एक कृषि प्रधान देश हैं और इसकी 70 प्रतिशत आबादी गांवो में निवास करती हैं.पंचायतों ने ग्रामीण  समस्या का निराकरण गंभीरता पूर्वक किया हैं जिसका परिणाम भी हमारे सामने दिखा. जब मंदी का प्रकोप पूरी दुनिया को हिला रही थी तब हमारे देश के विकाश दर 7 से 8   फीसदी था. इसमे कृषि का योगदान था क्यूँ की भारत एक कृषि प्रधान देश हैं जैसा की मैंने पहले भी लिखा हैं और इसकी अर्थव्यवस्था  की रीढ़ कृषि हैं. जिसके कारण भारत में मंदी ने अपना असर काफी कम दिखाया.पंचायतों ने कृषि मेला का आयोजन कर  किसानों को इस मेले के द्वारा  नई तकनीक के बारे में जानकारी दी . 
                             
                                       प्रकाशन विभाग कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पंचायती राज संस्थाओं कि कुल 52 करोड़ मतदाता हैं. जमीनी स्तर पर संस्थानों कि संख्या लगभग 2 .40 लाख हैं और पंचायतों में चुने गए जनप्रतिनिधियों कि संख्या 28 लाख हैं. पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण देने से महिला सशक्तिकरण में काफी लाभ हां हैं. इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता कि वर्त्तमान में महिला प्रतिनिधियों कि संख्या 10 लाख हैं जो कि कुल चयन का 37 % हैं. बिहार ने तो इस मामले में कमाल ही कर दिया वहा तो महिला जनप्रतिनिधियों कि संख्या 54 % तक जा पहुंचा हैं.
पंचायतों को भ्रष्टाचार से दूर रखे जाने कि जरुरत हैं क्यूँ कि ग्रामीण विकाश का अधिकांश कामों का जम्मा इसी के पास हैं . अतः इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों कि निगरानी होनी चाहियें तमाम कमियों के बावजूद पंचायतों में स्थानीय स्तर पर बहुत काम किये गए हैं और सरकार कि कल्याणकारी योजनाओं को संचालित किया जा रहा हैं. साथ ही लोगों को रोज़गार भी मिल रहा हैं.
आशा कि जनि चाहिए कि निकट भविष्य में पंचायती राज संस्थाओं कि खामिया दूर होंगी और वे भारत के ग्रामीण क्षेत्र के विकाश में अधिक से अधिक भूमिका निभायेंगी.
प्रेषक :-
नाम- अमित कुमार गुप्ता
हाजीपुर वैशाली
बिहार -844101

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh